' दुश्मन भी मिला तो सिवा जैसा ' - इति औरंगजेब


दरबार भरलेला सगळे सरदार अचानक बोलावलेल्या दरबारामुळे गोंधळलेले आणि घाबरलेले
कारण ही काही असेच . कारण शिवाजी महाराजांचा राज्याभिषेकाची खबर बादशाहाच्या कानावर आलेली असते . इतक्यात हुजऱ्या -
आदब बिलामुलायजा होशियार सुलताने शेहंशाहे हिंदुस्तान हजरत मुहंमद मुहीबदिन आलमगीर बादशाह गाजी तशरिफ फर्मायन आणि त्याच्या नावाचा जयजयकार होतो

आपला जयजयकार शून्य किमतीने वाटतो आणि
औरंगजेब आपल्या मुलाकडे संतापाने पाहतो आणि बोलतो "ये सब फिजूल है शहजादे चंगे जोतैमुरखान ने कभी शिकस्त नही देखी लेकिन आज कंधार से लेकर तंजावरतक सारे हिंदुस्तान को मोघलीय सल्तनत मे शामिल करनेका ख्वाब देखने वाली मा बदोलत ये क्या देख रहा है सिवाजी ने हमारी आखोके सामने हमारी सल्तनत के तामीन कर दि
ये हमारे मामुजान मिर्जा अमीर उलुब्रा नवाबे आजम अबू अलीद शायीस्तेखान साहब
सब से शरमनाक बात है शेहजादे शिवाजीने उनकी लालमहलपर छापेमारकर उनके छक्के छुडा दिये ये तो तकदीर के सिकंदर थे जान बच गयी सिर्फ तीन उंगलिया गीर पडी
ये जसवंत सिंग राठोड जोधपूर का राजा मारठोके जखम के वार छाती पर नही पीठ पर खाये

ये हे सुरत के खुबसुरत इनाद्खान बहाद्दूर जब सिवाजी राजे सुरत आये तो सुरत छोड कर दुम दबाकर भाग गये ये हे हाफ्सी मुराद खान जिनकी हतेलीपर मिठाई रखकर सिवाजी राजा भाग गये
सारे
मनसुबो को खाक मे मिला दिया इसी फोलाद खान ने ,
बेटा लष्कर मैदान छोडकर भाग्नेवले ये कतलबखान ये मुनारखान,ये दुर्राजखान ,सय्यद मुनार्खान तमाम राजपूत बुंदेल पठाण मोघल हाफ्सिखाजा की जिन्हे सिवाजीने शिकस्त दि
सारी इज्जत मिट्टी मी मिला दि ये फत्ते क्यो हासिल हुई सिवाजी को आपको मालूम है शेहजादे
आप कभी शायद ये समज नही पाओगे
क्योकि
इश्क, मोहब्बत, गिरफ्तार, नाचगाना, शराब ओर बहादूर सिवाजी राजा को कभी समझ नाही पाओगे
सिवाजी राजा ने मजबूत किले बनाये मजबूर जमीर के लोग तयार किये नयी जहागीर हासिल की

हिंदुस्तान
की हर चीज आप खरेदी करोगे लेकिन सिवाजीके खालीमोने किसीको बिक्ने भी नही दिया .हमने लाखोकी जहागीरोकी लालच दिखाई लेकिन जाहबाज मराठोने हमारी लाखोकी जहागीरोपर थुक दिया

सिवाजी काफर है ,मक्कार है दगाबाज है लेकिन उनके चालचलन बिलकुल दुध की तऱ्ह साफ ओर सुरज की तऱ्ह चमकदार है बुलंदमिनार की तऱ्ह सर उठाई आसमान को चू रही है इसमे कोई शक् नही शेहजादे हम खुशनसीब है हमे दुश्मन भी मिला तो सिवा जैसा"

संदर्भ - जाणता राजा
लेखक - बाबासाहेब पुरंदरे

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